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बैटरी 2-4 साल तक नहीं बल्कि 28 हजार साल तक काम करेगी. जानिए क्या है ये डायमंड बैटरी टेक्नोलॉजी (Diamond battery) और कैसे काम करेगी?

28 हजार साल तक चलेगी एक बैटरी

Techbriefs.com की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले वक्त में बैटरी अब नैनो डायमंड बैटरी (NDP) पर काम करेगी. ये हाई पॉवर, डायमंड-आधारित अल्फा, बीटा और न्यूट्रॉन वोल्टाइक बैटरी होती है. 

कैसे काम करता है NDB

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NDB एक न्यूक्लियर जेनरेटर की तरह काम करता है. NDB टेक्नोलॉजी के लिए पॉवर सोर्स इंटरमीडिएट और हाई लेवल रेडियो आइसोटॉप्स होता है जिन्हें सिंथेटिक हीरे के कई लेवल सिक्योरिटी के जरिए शील्डेड किया जाता है.

कैसे चार्ज होती है बैटरी 

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इस सेल्फ चार्जिंग प्रोसेस के लिए बैटरी को सिर्फ प्राकृतिक हवा की जरूरत होती है. इसका इस्तेमाल कई ऐसे मशीनों और डिवाइसों में हो सकता है,

ये डायमंड बैटरियां परमाणु कचरे से बनती हैं. DW की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में 3 लाख टन से ज्यादा का परमाणु कचरा मौजूद है. इन बैटरियों को परमाणु रिएक्टर से निकले रेडियोधर्मी ग्रेफाइट घटकों को गर्म करके बनाया जाता है

इन हीरों का उपयोग सभी तरह और आकारों बैटरियों में किया जा सकता है. बाजार में अभी तक इन बैटरियों को बनाया नहीं गया है लेकिन कंपनियां इनके प्रोटोटाइप पर काम कर रही हैं.

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कहां हो सकता है इस्तेमाल

अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले रॉकेट और सैटेलाइट आदि. एक से ज्यादा बैटरियों को जोड़कर और अधिक ऊर्जा पैदा की जा सकती है. ये ऊर्जा इतनी हो सकती है कि किसी गांव या कस्बे को रोशन कर सकती है.

DW की रिपोर्ट के मुताबिक इन बैटरियों में हल्की मात्रा में रेडियोधर्मिता होती है. इसलिए लीक नहीं होने दिया जा सकता है.

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